दिल्ली-एनसीआर में फैल रहा H3N2 फ्लू: लक्षण, कारण, बचाव और इलाज की पूरी जानकारी

दिल्ली-एनसीआर में एक बार फिर फ्लू जैसे लक्षणों ने चिंता बढ़ा दी है। हाल ही में किए गए एक सर्वे में यह सामने आया है कि लगभग 69% घरों में किसी न किसी सदस्य को बुखार, खांसी, गले में खराश और थकान जैसे लक्षण देखने को मिले हैं। इन लक्षणों के पीछे मुख्य कारण माना जा रहा है H3N2 फ्लू वायरस, जो बच्चों और बुजुर्गों को सबसे अधिक प्रभावित करता है।


क्या है H3N2 फ्लू?

H3N2 एक इन्फ्लुएंजा A वायरस का सब-टाइप है, जिसके सतह पर दो प्रोटीन पाए जाते हैं – हेमैग्लुटिनिन (H3) और न्यूरामिनिडेज़ (N2)। इन प्रोटीन में बार-बार बदलाव (म्यूटेशन) होते रहते हैं, जिससे शरीर की इम्युनिटी कमजोर हो जाती है और टीकों की प्रभावशीलता भी घट जाती है। यही वजह है कि यह वायरस हर साल नई चुनौतियाँ लेकर आता है।

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कैसे फैलता है H3N2?

यह वायरस मुख्य रूप से सांस के ज़रिये फैलता है। जब संक्रमित व्यक्ति खांसता, छींकता या बात करता है, तो उससे निकली छोटी-छोटी बूंदें दूसरों तक पहुँच जाती हैं।

  • भीड़भाड़ वाले इलाके, स्कूल, हॉस्टल, नर्सिंग होम और जेल जैसे स्थान इस संक्रमण के हॉटस्पॉट बन जाते हैं।

  • गंदे या संक्रमित सतह को छूने के बाद हाथ मुंह/नाक पर लगाने से भी संक्रमण का खतरा बढ़ जाता है।

  • बच्चों, बुजुर्गों, गर्भवती महिलाओं और पहले से बीमार लोगों (जैसे अस्थमा, डायबिटीज़ या हार्ट डिज़ीज़ से ग्रसित) पर इसका असर ज़्यादा होता है।


H3N2 फ्लू के लक्षण

  • अचानक तेज़ बुखार और ठंड लगना

  • खांसी और गले में खराश

  • सिर दर्द और मांसपेशियों में दर्द

  • थकान और कमजोरी

  • पेट दर्द, उल्टी और दस्त (कुछ मामलों में)


H3N2 का निदान (Diagnosis)

ज्यादातर मामलों में डॉक्टर लक्षण देखकर ही पहचान लेते हैं। लेकिन आवश्यकता पड़ने पर

  • थ्रोट स्वैब टेस्ट

  • रैपिड इन्फ्लुएंजा डायग्नॉस्टिक टेस्ट

  • एंटीबॉडी टेस्ट
    के ज़रिये पुष्टि की जा सकती है।


इलाज और बचाव (Treatment & Prevention)

ज्यादातर लोग 3-5 दिनों में आराम कर जाते हैं, लेकिन हाई-रिस्क मरीजों को अस्पताल में भर्ती करने की ज़रूरत पड़ सकती है।

  • आराम और हाइड्रेशन सबसे ज़रूरी है।

  • गुनगुने पानी से गरारे और भाप लेना गले और सांस की तकलीफ को कम करता है।

  • एंटीवायरल दवाएँ (जैसे Oseltamivir) शुरुआती 48 घंटों में शुरू की जाएं तो बीमारी की अवधि और गंभीरता दोनों घट जाती हैं।

  • एंटीबायोटिक का इस्तेमाल तभी करें जब डॉक्टर सलाह दें।


निष्कर्ष

दिल्ली-एनसीआर में H3N2 फ्लू का बढ़ता असर बताता है कि मौसमी बदलाव के समय सतर्कता और सावधानी बेहद ज़रूरी है। मास्क पहनना, हाथ धोना, भीड़भाड़ वाली जगहों से बचना और लक्षण दिखने पर तुरंत डॉक्टर से परामर्श लेना ही इसका सबसे बड़ा बचाव है।

याद रखें: यह वायरस गंभीर हो सकता है, लेकिन समय पर इलाज और सही देखभाल से इसे आसानी से नियंत्रित किया जा सकता है।

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