उत्तरकाशी में बादल फटने की भयावह त्रासदी: रेस्क्यू ऑपरेशन जारी, 150 से अधिक लोगों की जान बचाई गई

उत्तराखंड के उत्तरकाशी जिले में 5 अगस्त, 2025 की दोपहर खीर गंगा नदी में अचानक आई बाढ़ ने तबाही मचा दी। बादल फटने के बाद धाराली गांव और उसके आसपास के इलाके मलबे और पानी की चपेट में आ गए, जिससे कई मकान, दुकानें और सड़कें बह गईं। अब तक चार लोगों की मौत की पुष्टि हो चुकी है, जबकि दर्जनों लोग लापता हैं। बचाव कार्य युद्धस्तर पर जारी है।

भयावह दृश्य और विनाश

धाराली, जो गंगोत्री जाने वाले प्रमुख रास्तों में से एक है, इस भीषण बाढ़ से सबसे अधिक प्रभावित हुआ है। स्थानीय लोगों द्वारा रिकॉर्ड किए गए वीडियो में देखा गया कि कैसे जलप्रलय की भांति पानी की लहरें गांव में घुसीं और सबकुछ अपने साथ बहाकर ले गईं। गांव के अधिकांश हिस्से को भारी नुकसान हुआ है। कई होटलों, घरों और धार्मिक स्थलों का नामोनिशान मिट गया।

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मुख्यमंत्री धामी ने संभाला मोर्चा

उत्तराखंड के मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी ने हवाई सर्वेक्षण कर स्थिति का जायजा लिया। इसके साथ ही उन्होंने आपदा प्रबंधन केंद्र में उच्च स्तरीय बैठक कर सभी संबंधित एजेंसियों को निर्देश दिए हैं कि राहत कार्यों में कोई कसर न छोड़ी जाए। मुख्यमंत्री ने कहा, “हर एक जीवन हमारे लिए मूल्यवान है। राज्य सरकार पूरी तत्परता से राहत और बचाव कार्य में जुटी है।”

सेना और एजेंसियों की तैनाती

भारतीय सेना, ITBP, SDRF, NDRF और BRO की टीमें राहत एवं बचाव कार्यों में लगी हुई हैं। सेना के ट्रैकर डॉग्स, ड्रोन और जेसीबी मशीनें मलबा हटाने और फंसे लोगों को निकालने के लिए तैनात की गई हैं। अब तक 150 से अधिक लोगों को सुरक्षित बाहर निकाला जा चुका है। सेना ने 150 जवानों को कमांडिंग ऑफिसर कर्नल हर्षवर्धन के नेतृत्व में मौके पर भेजा है। इसके अलावा, एयरफोर्स के हेलीकॉप्टरों से खाद्य सामग्री और दवाएं भी पहुंचाई जा रही हैं।

मौसम विभाग का अलर्ट और खतरनाक स्थिति

भारतीय मौसम विभाग ने उत्तराखंड के 11 जिलों में भारी बारिश का अलर्ट जारी किया है। हरिद्वार में गंगा नदी का जलस्तर चेतावनी सीमा के करीब पहुंच गया है। हालांकि प्रशासन ने अभी इसे खतरे की स्थिति नहीं माना है, लेकिन लगातार बारिश को देखते हुए स्थिति गंभीर बनी हुई है।

धार्मिक स्थल भी चपेट में

प्राचीन काल्प केदार मंदिर, जो खीर गंगा नदी के किनारे स्थित है, भी मलबे में दब गया है। यह मंदिर केदारनाथ धाम की तर्ज पर बना था और इसका ऐतिहासिक महत्व रहा है। यह घटना धार्मिक आस्था पर भी गहरा आघात है।

रेल और सड़क मार्ग प्रभावित

उत्तरकाशी-गंगोत्री और हरिद्वार-देहरादून मार्गों पर यातायात प्रभावित हुआ है। कई स्थानों पर सड़कों और रेलवे पटरियों पर मलबा और चट्टानें गिरने से रास्ते बंद हो गए हैं। रेलवे प्रशासन द्वारा कुछ ट्रेनों को बीच रास्ते में ही रोका गया है।

स्थानीय प्रशासन की तत्परता

जिलाधिकारी और एसपी रैंक के अधिकारी घटनास्थल पर पहुंच चुके हैं। मुख्यमंत्री कार्यालय से तीन नोडल अधिकारी नियुक्त किए गए हैं जो राहत सामग्री के वितरण की निगरानी कर रहे हैं। प्रशासन ने हेल्पलाइन नंबर भी जारी किए हैं:
📞 01374-222126, 01374-222722, 9456556431

पीएम मोदी का हस्तक्षेप

प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने मुख्यमंत्री धामी से फोन पर बात कर राहत और बचाव कार्यों की जानकारी ली और केंद्र सरकार की ओर से हरसंभव मदद का भरोसा दिलाया। गृह मंत्री अमित शाह और रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह ने भी स्थिति की समीक्षा की है।


यह आपदा न केवल एक प्राकृतिक त्रासदी है, बल्कि यह पहाड़ी राज्यों में अनियंत्रित निर्माण और पर्यावरणीय असंतुलन की भी चेतावनी है। वैज्ञानिकों ने पहले ही आगाह किया था कि हिमालयी क्षेत्र में जलवायु परिवर्तन और निर्माण गतिविधियां ऐसी आपदाओं को और गंभीर बना रही हैं।

इस समय प्राथमिकता है – लोगों की जान बचाना, राहत पहुंचाना और आगे की आपदाओं से बचाव के लिए ठोस कदम उठाना। प्रशासन, सेना और स्वयंसेवी संगठन मिलकर इस संकट का मुकाबला कर रहे हैं, लेकिन यह समय सभी नागरिकों के लिए भी सतर्क और सहयोगी रहने का है।

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