Paper Leak पर सख़्त रुख: संसदीय समिति ने NTA को दिया बड़ा सुझाव — क्या अब वापसी होगी Pen-Paper Test पर?

देशभर में बढ़ रही पेपर लीक घटनाओं ने परीक्षाओं की विश्वसनीयता पर बड़ा सवाल खड़ा कर दिया है। UPSC स्तर की उम्मीदों से लेकर राज्य स्तरीय भर्तियों तक — हर जगह स्टूडेंट्स का भरोसा हिलता दिख रहा है। ऐसे माहौल में एक संसदीय स्थायी समिति ने बेहद महत्वपूर्ण सिफारिशें की हैं, जो भविष्य में परीक्षा प्रणाली की दिशा ही बदल सकती हैं।

समिति ने साफ कहा है कि Frequent पेपर लीक यह दिखाता है कि डिजिटल/online exam सिस्टम हर जगह सुरक्षित नहीं है। इसलिए NTA (National Testing Agency) को एक बार फिर Pen-Paper Based टेस्ट पर लौटने पर गंभीरता से विचार करना चाहिए। यह कदम लाखों छात्रों के लिए राहत का संकेत हो सकता है, जो पिछले कुछ समय में परीक्षा-संबंधी अनियमितताओं से परेशान रहे हैं।

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क्यों उठी पेन-पेपर टेस्ट की मांग?

संसदीय समिति का मानना है कि—

  • कई तकनीकी खामियाँ online परीक्षा प्रणाली में आसानी से exploited की जा रही हैं।
  • Remote test centers में digital security एकसमान नहीं है।
  • पेपर लीक के कारण meritorious candidates बार-बार प्रभावित हो रहे हैं।

पेन-पेपर सिस्टम, चाहे थोड़ा ज़्यादा समय लेता हो, लेकिन इसकी सुरक्षा और पारदर्शिता को लेकर छात्रों का भरोसा आज भी मजबूत है।

 

गड़बड़ी करने वाली फर्मों पर कड़ा ऐक्शन!

सबसे अहम बात—समिति ने यह भी सिफारिश की है कि जिन फर्मों पर परीक्षा आयोजित करने के दौरान गड़बड़ी, लापरवाही, या गलत प्रैक्टिस का आरोप है, उनका देशभर में एक centralized ब्लैकलिस्ट तैयार किया जाए।

इसके फायदे होंगे:

  • कोई भी संदिग्ध कंपनी दोबारा परीक्षा प्रक्रिया में शामिल नहीं हो पाएगी।
  • राज्यों और केंद्र दोनों को साफ जानकारी रहेगी कि किस फर्म पर भरोसा नहीं करना है।
  • Exam ecosystem में transparency और accountability बढ़ेगी।

 

क्या बदलेगा आने वाले समय में?

अगर NTA पेन-पेपर टेस्ट पर लौटता है, तो—

  • छात्रों का भरोसा वापस मजबूत होगा
  • exam centers पर monitoring आसान होगी
  • गड़बड़ी की संभावनाएं कम होंगी

हालाँकि, बड़े पैमाने पर परीक्षाएँ कराना अब भी एक चुनौती है, लेकिन सही प्लानिंग और तकनीकी सहायता के साथ यह सम्भव है।

 

स्टूडेंट्स के लिए क्या मायने रखता है यह कदम?

यह सिफारिशें यह दिखाती हैं कि सरकार और संसद दोनों परीक्षा प्रणाली को लेकर गंभीर हैं। स्टूडेंट्स के भविष्य से खिलवाड़ अब बर्दाश्त नहीं किया जाएगा।

संदेश साफ है — पारदर्शिता पहले, सुविधा बाद में।
देश का भविष्य बनाने वाली परीक्षाएँ अब और मजबूत, सुरक्षित और भरोसेमंद बनानी ही होंगी।

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