पश्चिम बंगाल में कॉलेज दाखिले की अंतिम तिथि बढ़ी, छात्रों की घटती रुचि बनी चिंता का विषय कोलकाता

पश्चिम बंगाल सरकार द्वारा संचालित और अनुदान प्राप्त कॉलेजों में स्नातक पाठ्यक्रमों के लिए केंद्रीयकृत पोर्टल के माध्यम से आवेदन की अंतिम तिथि दो सप्ताह बढ़ा दी गई है। अब छात्र 15 जुलाई 2025 तक आवेदन कर सकेंगे, जबकि पहले यह तिथि 1 जुलाई निर्धारित की गई थी।

शिक्षा मंत्री ब्रत्य बसु ने एक सोशल मीडिया पोस्ट में कहा कि यह निर्णय मुख्यमंत्री के निर्देश पर छात्रों की सुविधा के लिए लिया गया है। हालांकि, आधिकारिक सर्कुलर में विस्तार से कोई कारण नहीं बताया गया।


📉 घटती छात्रों की संख्या – चिंता का कारण

अब तक इस पोर्टल पर केवल 3.2 लाख छात्रों ने पंजीकरण कराया है, जिसे शिक्षकों का एक वर्ग “उत्साहजनक आंकड़ा नहीं” मान रहा है।
कई कॉलेज प्रोफेसरों का मानना है कि छात्रों की उच्च शिक्षा के प्रति रुचि कम हो रही है, और इसके पीछे कई महत्वपूर्ण कारण हैं:

  1. अन्य राज्यों में पलायन – आर्थिक रूप से सक्षम परिवार अपने बच्चों को बेंगलुरु, दिल्ली, मुंबई जैसे शहरों में पढ़ने भेज रहे हैं।

  2. प्रवेश पोर्टल में देरी – ओबीसी आरक्षण की सूची कानूनी पेंच में फंसी होने के कारण पोर्टल की शुरुआत में पहले ही काफी देरी हो चुकी है।

  3. शिक्षकों की कमी – कई कॉलेजों में वर्षों से नए शिक्षक नहीं भरे गए, जिससे छात्र-शिक्षक अनुपात चिंताजनक हो गया है।

  4. कानून-व्यवस्था की स्थिति – आर.जी. कर अस्पताल और साउथ कोलकाता लॉ कॉलेज जैसी घटनाओं के बाद कॉलेज परिसरों की सुरक्षा और माहौल पर सवाल खड़े हो रहे हैं।

  5. रोजगार की अनिश्चितता – परंपरागत डिग्री कोर्सेज के बाद मिलने वाले रोजगार की स्थिति कमजोर है, जिससे छात्र अब वोकेशनल कोर्स या सीधे नौकरी की तलाश को प्राथमिकता दे रहे हैं।


📉 छात्रों की प्रतिक्रिया और आंकड़े

कलकत्ता विश्वविद्यालय की अर्थशास्त्र प्रोफेसर इशिता मुखोपाध्याय कहती हैं,

“छात्रों को कहीं न कहीं आगे की पढ़ाई के लिए दूसरे राज्यों में भेजा जा रहा है। देरी से छात्र ऊब चुके हैं, और कोर्ट ने कभी दाखिले पर रोक नहीं लगाई थी, फिर भी प्रक्रिया में अनावश्यक विलंब हुआ।”

एक अन्य प्रोफेसर के अनुसार,

“पिछले साल हमारे अंग्रेजी विभाग में इस समय तक लगभग 1000 आवेदन आ चुके थे, जबकि इस बार सिर्फ 350 आवेदन मिले हैं। यह दिखाता है कि छात्र अब पश्चिम बंगाल की कॉलेज शिक्षा में रुचि नहीं ले रहे।”


🎓 निष्कर्ष

जहां पहले पश्चिम बंगाल, विशेषकर कोलकाता, उच्च शिक्षा के लिए गौरवपूर्ण गंतव्य माना जाता था, वहीं आज वहाँ के कॉलेज बढ़ती सीटों की रिक्तता और घटती छात्रों की रुचि जैसी गंभीर चुनौतियों का सामना कर रहे हैं।

अब देखना यह होगा कि राज्य सरकार कैसे छात्रों की शिक्षा में भरोसा लौटाती है और कॉलेजों को फिर से आकर्षण का केंद्र बनाती है।